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शनिवार, २८ डिसेंबर, २०१९

गिरने का डर

चलना जो शुरू किया,
तो गिरने का डर
दिखा रहें हो मुझे ?
उस रास्ते पे चलो ही नहीं,
बता रहें हो मुझे?

ना- ना !

मैं क्यूँ डरु चलने से ?

मैं तो समझू की,
तुम तो सयाना,
कर रहें हो मुझें ।

आगे आने वाली,
मुसीबकों का,
इशारा दे रहे हो मुझे ।

जानती हूँ मैं की,

तुम्हारे दिए हुए डर के कारनही,
खड़ा रहना, सीखा ही नहीं उसने |

जानती हूँ ये भी, की,

दुनिया में ऐसी कोई मंजिल नहीं,
जिस रास्ते पें कठिनाइयाँ नहीं   |

और हाँ, ये भी की,

जो डरा रहा हैं,
वो ही डरा हुआ हैं |
इसलिये मुझें भी,
डरा रहा हैं


तृप्ती
२८|१२|१९

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