चलना जो शुरू किया,
तो गिरने का डर
दिखा रहें हो मुझे ?
उस रास्ते पे चलो ही नहीं,
बता रहें हो मुझे?
ना- ना !
मैं क्यूँ डरु चलने से ?
मैं तो समझू की,
तुम तो सयाना,
कर रहें हो मुझें ।
आगे आने वाली,
मुसीबकों का,
इशारा दे रहे हो मुझे ।
जानती हूँ मैं की,
तुम्हारे दिए हुए डर के कारनही,
खड़ा रहना, सीखा ही नहीं उसने |
जानती हूँ ये भी, की,
दुनिया में ऐसी कोई मंजिल नहीं,
जिस रास्ते पें कठिनाइयाँ नहीं |
और हाँ, ये भी की,
जो डरा रहा हैं,
वो ही डरा हुआ हैं |
इसलिये मुझें भी,
डरा रहा हैं
तृप्ती
२८|१२|१९
तो गिरने का डर
दिखा रहें हो मुझे ?
उस रास्ते पे चलो ही नहीं,
बता रहें हो मुझे?
ना- ना !
मैं क्यूँ डरु चलने से ?
मैं तो समझू की,
तुम तो सयाना,
कर रहें हो मुझें ।
आगे आने वाली,
मुसीबकों का,
इशारा दे रहे हो मुझे ।
जानती हूँ मैं की,
तुम्हारे दिए हुए डर के कारनही,
खड़ा रहना, सीखा ही नहीं उसने |
जानती हूँ ये भी, की,
दुनिया में ऐसी कोई मंजिल नहीं,
जिस रास्ते पें कठिनाइयाँ नहीं |
और हाँ, ये भी की,
जो डरा रहा हैं,
वो ही डरा हुआ हैं |
इसलिये मुझें भी,
डरा रहा हैं
तृप्ती
२८|१२|१९
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